संतोष उसेंडी सुकमा –
सुकमा: सुकमा जिला के सर्व मूल निवासी समाज एवं सर्व आदिवासी समाज के द्वारा ईसाई ,हिंदुत्व धर्मान्तरण को लेकर विरोध प्रदर्शन व रैली किया गया जिसमे लगभग 30000 से अधिक जनसंख्या उपस्थित थी जोकि सुकमा जिला मुख्यालय में पहुंच कर नवीन सर्व आदिवासी सामाजिक भवन से पैदल विशाल रैली निकाल कर सुकमा मिनी स्टेडियम पर सभा का आयोजन किया गया साथ ही बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से सभी सामाजिक पदाधिकारी एवं समाज प्रमुख उपस्थिति होकर अपनी बात सभा में उद्बोधन करते हुए जय सेवा के साथ हुंकार भरा गया। साथ ही सभी उपस्थिति समाज प्रमुखों के द्वारा अपनी बात रखी गई आदिवासी समाज संरक्षक सोहन पोटाई जी भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है धर्मांतरण कर हमारी संस्कृति पेन पुरखों का अपमान एवं नुकसान न करें ये हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे ऐसे बहुत से लोग है जो धर्म परिवर्तन कर दोनों तरफ से लाभ लेने वाले लोगो को सबक सिखाना पड़ेगा, भोले भाले आदिवासी समाज को प्रलोभन देकर धर्मांतरण करा रहे हैं ऐसे लोगो पर भी हमें नज़र रखना चाहिए। बाहरी लोग हमारी आदिवासी रहन सहन संस्कृति को देखने आते है ना कि राम पर्यटक को, साथ ही इस पांचवी अनुसूची क्षेत्र में कोई भी अधिकारी आते हैं वो सबसे पहले यह की व्यवस्था और परंपरागत कानून की जानकारी होनी चाहिए प्रशिक्षण देना चाहिए। यहां पर पांचवी अनुसूची अनपढ़ अधिकारियों को पोस्टिंग देना बन्द करे राज्य सरकार। बस्तर के इतिहास के पुरातत्व विभाग में राम वन गमन का उल्लेख कहीं भी नहीं है, कोई प्रमाण नहीं है। जितने भी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां है उनमें से आदिवासियों का भला होने वाला नहीं है इसे हम सबको समझना होगा सुकमा जिला संरक्षक खोया कुटुमा धनीराम बारसे ने कहा
हम सब सुनते आ रहे हैं हमारे पूर्वजों द्वारा शादी-ब्याह संस्कृति सब आदिवासियों का अलग है हम अपने आनाल पेन को मानने वाले हैं और साथ रूढ़ि प्रथा परम्परा पद्धति को भी मान रहे हैं आज हम सभी इतने समाज के लोग यहां संगठित हुए हैं इस पर भी हमें विचार करने की जरूरत है, कोंटा जैसे इलाकों में धर्मांतरण बहुत ज्यादा हुआ है जिसे हम सब को गंभरता से लेने की जरूरत है ,प्रांतीय संरक्षक अरविंद नेताम ने कहा मैंने पिछले कई सालों से मेरे राजनीतिक जीवन से लेकर अब तक सामाजिक कार्य पर इतनी भीड़ कभी नहीं देखा आप सभी समाज के नाम से इतने संख्या में उपस्थित हुए इतने तादाद में उपस्थिति हुए वास्तव में आप सभी इस गंभीर समस्या के बीच जूझ रहे हैं धर्मांतरण को लेकर बस्तर संभाग में पहली बार इस तरह का महा जनआंदोलन सर्व समाज के साथ देखने को मिला पूरे बस्तर संभाग में केवल आदिवासी समाज नहीं, बल्कि पूरे मूलनिवासी बस्तरिया समाज खतरे में है, सब को अपने-अपने धर्म मानने की स्वेच्छा है लेकिन अपने इच्छा से यहां तो जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है ऐसे मैं तो समाज बिखर जाएगा हम आप कहीं के नहीं रहेंगे, आप लोगों ने कहीं देखा है ऐसे लोगो को धर्मांतरण करते हुए जैसे हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम, या अन्य केवल और केवल 5 वी अनुसूचित छेत्र में घूम-घूम कर धर्मांतरण करते है ईसाई पास्टर के लोग जो कि पेशा कानून के अनुसार रूढ़िगत परंपरिक तिज तियार मानने वाले आदिवासी है इस तरह हमारे साथियों के साथ बहुत बड़ी साजिश किया जा रहा है ये अंतिम नहीं है बहुत बड़ी गंभीर मामला है इसके लिए टीम गठित करने की जरूरत है वही सर्व आदिवासी समाज संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर सबसे ज्यादा हमारे आदिवासी भाई बहनों के द्वारा ईसाई मिशनरी ,हिंदू धर्म परिवर्तन किया जा रहा है, पिछले बार इसी सुकमा जिला में सबसे पहले राम वन गमन पथ का विरोध हुआ था धर्म परिवर्तन के नाम से इतनी बड़ी सभा में विरोध किया जा रहा हैं, हम प्रकृति पूजक है हमारी व्यवस्था हमारी परंपरा हमारी गांव की पेन व्यवस्थाओं के साथ संचालित होती है रूड़ी प्रथाओं के अनुरूप चलते हैं पांचवी अनुसूची क्षेत्र में कोई भी धर्म प्रचार प्रसार नहीं कर सकता यह असंवैधानिक है साथ ही बिना परंपरिक ग्राम सभा के अनुमति के बगैर मदिर, मस्जिद, चर्च इस छेत्र म नहीं बना सकते अगर इस तरह कोई भी व्यक्ति उटपटांग ढंग से कार्य करता है तो हमें उसे विरोध करना है आदिवासी संस्कृति के अनुरूप अन्य संस्कृति को हम अगर अपनाते हैं तो वह हमारी मूल संस्कृति को खत्म करती है यह हमारे लिए बहुत बड़ी चिंतन का विषय है हम अपनी संस्कृति पर ही रहे यह हमारे लिए बहुत बड़ी वरदान है, सुकमा जिला कोया समाज संरक्षक मनीष कुंजाम के द्वारा बोला गया की लोग किसी धर्म के खिलाफ इकट्ठा नहीं हुआ हैं यहां किसी धर्म विशेष पर हम हमारे देवी देवता पेन पुरखा को हमारी संस्कृति को बचाने के लिए रैली व प्रदर्शन किया जा रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने 1971 में कहा है कि आदिवासी हिंदू नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट हिंदू नहीं है कह सकता है तो हम ईसाई तो हो ही नहीं सकते, फिर हम क्या हैं हिंदू नहीं है मुसलमान नहीं है ईसाई नहीं है तो हम क्या हैं आदिवासी आदिवासी है यहां जितने भी बस्तर के अंदर मूल निवासी है वह अपने अपने पेन सिस्टम के अनुसार चलने वाले लोग हैं बस्तर संभाग में जितने भी गांव है, आज भी उन गांव में गाय की बलि दिया जाता है ये आदिवासियों की व्यवस्था है उनकी परंपरा है उनको कैसे बदल सकते हैं हां मानते हैं गौ हत्या कानून बना है पर वह कानून भी उस क्षेत्र में उनकी परंपराओं के असंगत है तो सुन्य है गांव की रीति रिवाज के अनुसार कोई भी व्यक्ति उस गांव की रीति रिवाज को नहीं मानता है तो उसे उस गांव में रहने का अधिकार भी नहीं है इस तरह गांव में गांव की रीति रिवाज के अनुसार चलने वाले आदिवासी एवं सभी मूलनिवासी भाई हैं और चलते आ रहे है, लगभग 25 साल हो चुके हैं पेशा कानून बनकर और उस कानून को चलाने के लिए अभी तक नियम नहीं बने हैं ये हमारे राज्य की दुर्भाग्य की बात है, गौरव जनजाति समाज राजाराम तोड़ेम ने कहा बस्तर संभाग में कई वर्षों से ईसाई मिशनरियों द्वारा हमारे लोगो को धर्मांतरण किया जा रहा है हमारे समाज के भाई बंधुओं से आग्रह है कि ऐसे लोगों से बचकर रहें ईसाइयों मिशनरियों द्वारा सभी जगह कब्जा करने का षड्यंत्र किया जा रहा है ईसाइयों के द्वारा FIR किए जाने पर तत्काल कार्रवाई किया जाता है और हमारे लोगो को प्रताड़ित किया जाता है ऐसे तत्व हमारे पीढ़ियों को बिगाड़ने का काम कर रहा है देवी देवताओं के उपर आक्रमण किया जा रहा है वही धुरवा समाज सुकमा जिला अध्यक्ष रामदेव नाग ने कहा की हमारी संस्कृति हमारी परंपराओं को हमें बरकरार रखना है किसी अन्य धर्म में जाकर अपनी संस्कृति को नष्ट करना हमारे लिए बहुत बड़ी नुकसानदायक है आज तक हम अपनी संस्कृति से पहचाने जाते हैं हमें इसे जिंदा रखना बेहद जरूरी है आप सभी से आग्रह है कि अन्य धर्मों में जाकर अपने आपको धर्मांतरण होने से बचाएं
बहुत से जनसंख्या में 13 समाज के सामाजिक पदाधिकारी उपस्थित होकर अपनी बात को रखी, जिसके बाद सुकमा जिला अपर कलेक्टर को राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन में बस्तरिया मूल संस्कृति से असंगत धर्म संस्कृति को अंतरित करने वाले व्यक्ति समुदाय संस्था संगठन को रोक लगाने की बात समाज प्रमुखों के द्वारा तीव्र आक्रोश के साथ भारत सरकार अधिनियम 1935 की सेक्शन 90,91 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क 19(5) 19(6) 244 (1) पंचायती राज अधिनियम 1996 की धारा 4 (क) (ख) निहित शक्तियों के तहत जिला स्तरीय बस्तर सर्व मूल निवासी समाज द्वारा एक दिवसीय प्रदर्शन व रैली का आयोजन किया गया था, बस्तर संभाग के संदर्भ में 40,000 से ज्यादा बस्तरिया समुदाय के लोगों द्वारा जनजातियों की संस्कृति से असंगत धर्म पंथ को बढ़ावा देने वाले व्यक्ति संगठनों के विरुद्ध यह ऐतिहासिक जन आंदोलन पहली बार सुकमा में देखने को मिली। सर्व आदिवासी समाज सुकमा जीले की सभी ब्लॉकों के पदाधिकारी पंच सरपंच एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति के कारण आंदोलन सफल हो पाया
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