पेसा कानून अपवाद और उपांतरण की सूची है - अश्वनी कांगे
कोंडागांव : एक कदम गांव की ओर गांव में लोगों को संवैधानिक अधिकार की समझ बनाने और ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आज दिनांक 04/12/22 को ग्राम भर्रीपारा, ब्लॉक - केशकाल, जिला कोंडागांव में एक दिवसीय कार्यशाला रखा गया जिसमें कोया पुनेम से सम्बंधित गांव की परम्पारिक व्यवस्था, गांव की पुनेमी पेन व्यवस्था, पंडूम पर दंतेवाड़ा से आये KBKS के साथी तिरुमाल ललित होडी जी ने जानकारी दिया, संवैधानिक अधिकार के वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत प्राप्त सामुहिक हक सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पर विस्तृत जानकारी KBKS के साथी तिरूमाल संदीप सलाम के व्दारा दिया गया एवं 1996 में इस देश में आया एक कानून, पेसा कानून जो कि अपवाद और उपांतरण की सुची है, इस कानून पर संवैधानिक अधिकारों के विशेषज्ञ KBKS के सेनापति तिरूमाल अश्वनी कांगे जी ने उदाहरण के साथ पेसा कानून पर विस्तृत जानकारी दिया गया ।
दिल्ली, रायपुर में हमारी सरकार....हमारे गांव में हम ही सरकार
कांगे जी ने कहा 1990 में पंचायती राज व्यवस्था को पुर्वत्तर राज्य और जम्मू कश्मीर को छोड़कर सभी जगहों पर लागू किया गया, लेकिन अनुसूचित क्षेत्र में पंचायती राज व्यवस्था लागू नहीं हो सकता था परंतु संविधान की 243ङ 4(ख) के तहत अपवाद और उपांतरण अधीन लागू किया गया, 1990 के दशक में दो बड़े बदलाव किया गया एक उदारीकरण की नीति और दुसरा ग्राम स्वराज की परिकल्पना किया गया मतलब सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया जिस प्रकार लोकतांत्रिक देश में केंद्र में लोकसभा, राज्य में विधानसभा को शक्ति है ठीक उसी प्रकार गांव में ग्राम सभा को जगह शक्ति दी है कि ग्राम सभा को संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची के 29 विषयों पर सभी तरह के कामकाज को अपनी परंपरा के अनुसार निर्णय लेने लिए सक्षम है ।
कांगे जी अपनी बात आगे रखते हुए कहा अनुसूचित क्षेत्रों पर ग्राम सभा ही सर्वपरि है, राज्य का विधान मंडल पेसा कानून की धारा 4 के "क से ण" तक ऐसी कोई विधि नहीं बनायेगा जो असंगत हो, ग्राम सभा समुदाय के संसाधनों की परंपरागत तरीके से प्रबंधन कर सकेगा और गांव के विवाद निपटाने का अधिकार ग्राम सभा को है एवं ग्राम सभा के शांति एवं न्याय समिति को IPC और CRPC की कुछ धाराओं को निपटान करने के लिए सक्षम है। गौण वनोपज पर स्वामित्व है ग्राम सभा अनुसूचित क्षेत्रों में 170(ख) 2 (क) के जितने भी मामले हैं जो केस SDM सुनवाई करता था उस केस पर ग्राम सभा अपना निर्णय लेने के लिए समक्ष है।
पेसा कानून अपने जवानी पर है लेकिन अभी तक ग्राम सभाओं को अधिकार नहीं दे पा रहा है
पेसा कानून को बने आज 26 वर्ष हो गए हैं, पेसा कानून अपने जवानी पर है लेकिन अभी तक ग्राम सभाओं को अधिकार नहीं दे पा रहा है जैसे की संविधान के अनुच्छेद 40 में स्वायत शासन की इकाई की बात कही गई मतलब ग्राम सरकार आज भी नजर नहीं आता, नजर अंदाज किया जा रहा है। अनुसूचित क्षेत्रों के सभी कानूनों में बदलाव अपवादों और उपांतरणों के साथ हो जाना चाहिए था, इसका मतलब पांचवी अनुसूची क्षेत्र के प्रवृत विधि जो पेसा से असंगत है वैसे सभी नियम कानून को पेसा संगत बनाने हेतु अपवाद और उपांतरण के साथ परिवर्तन करना चाहिए। पेसा कानून पंचायती विभाग का कानून नहीं बल्कि अनुसूचित क्षेत्र में जितने भी विभाग आते हैं वे सभी पेसा कानून के अंदर आता है, लंबे समय के बाद छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 बनाया गया, इस नियम के तहत एक साल भीतर जितने कानून होंगे उसमें पेसा सम्मत बनाने हेतु ग्राम सभाओं से सुझाव या प्रस्ताव राज्य सरकार से देने लिए अपील की गई है।
रायपुर से आये प्रखर जी ने कहा कि पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पेसा संगत अभी तक कुछ ही नियम कानूनों में बदलाव किया गया है, उन्होंने ने कहा अनुसूचित क्षेत्रों में जमीन का अधिग्रहण ग्राम सभा के अनुमति (LARR 2013) के बैगर नहीं किया जा सकता, साथ ही अनुसूचित क्षेत्रों पर साहूकारिता अधिनियम लागू नहीं हो सकता बैन किया गया है।
इस प्रशिक्षण में अंवरी परगना के समाज प्रमुख रैनु कोर्राम, गोंडवाना समाज के संरक्षक रायसिंग नेताम, केशकाल ब्लाक अध्यक्ष सतऊ नेताम, ब्लाक सचिव मंगल साय नेताम, भर्रीपारा सरपंच श्याम लाल सलाम, फूलसिंग सलाम, मसू मरकाम, नडगू मंडावी, बालसिंग मरकाम, चैतु मरकाम, उत्तम सलाम, किशन मंडावी, धन्नू सलाम, प्रकाश शोरी, जितेन्द्र नेताम, खेम उसेंडी, कुशल मंडावी, संजय मरकाम, संजीव मरकाम, आशिक मरकाम, जिमी लाल मरकाम, सत्या मंडावी, ललीता नेताम, अमीता कुमेटी, निर्मला नाग, मंजू लता मंडावी, मनिषा नेताम एंव परगना लया लयोर इस प्रशिक्षण में उपस्थित रहे।