13 सितम्बर 2007 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी अधिकारों का घोषणा-पत्र जारी किया, जिससे दुनिया के अधिकतर देशों ने पहली बार आदिवासियों के अधिकारों को स्वीकार किया। इस दिवस की महत्ता को चिन्हांकित करने और अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए जीवन विकास मैत्री, आशादीप, पत्थलगांव में एक विचार गोष्टी का आयोजन फिजिकल डीसटनसिंग का पालन करते हुए किया गया था। इसमें 20 लोग शामिल थे।
विचार गोष्टी का आरम्भ स्वामी अग्निवेश जी को श्रद्धांजलि देने से हुआ। उनके छाया चित्र पर माल्यार्पण कर उपस्थित जनों ने पुष्पांजलि अर्पित की। उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए फा याकूब कुजूर ने बताया कि उनका जन्म 1939 को आंध्रप्रदेश के सिरकाकुलम गांव में हुआ था और उनकी मृत्यु 11 सितम्बर 2020 को दिल्ली में हुई। वे 81 साल के थे। वे एक आर्य समाजी होते हुए धर्मनिरपेक्ष सिद्धान्तों को मानते थे और उन्होंने बंधुआ मजदूरों के लिए ऐतिहासिक कार्य किया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने एक जेसुइट संस्था में काम किया और कुछ समय के बाद मानव अधिकार कार्यकर्ता बनने के लिए तथा हिंदू लिबास में जेसुइट बनने के लिए संस्था छोड़ दिया। बंधुआ मुक्ति मोर्चा संगठन का गठन किया, बंधुआ मज़दूरों को छुटकारा दिलाने के लिए। हरियाणा से चुनाव लड़कर मंत्री बने। जीवन भर बंधुआ मजदूरों की मुक्ति के लिए उन्होंने काम किया। शिकागो के अंतरराष्ट्रीय धर्म सभा में उन्होंने जाति भेदभाव की आवाज उठाई। संयुक्त राष्ट्र संघ के आधुनिक दस्ता समिति के वे अध्यक्ष रहे थे। छत्तीसगढ़ के पिथौरा में वे 1988 में आये थे, उच्चतम न्यायालय के मार्फ़त मजदूरों के पुनर्वास मामले में। 2018 में वे झारखंड के आदवासियों को विस्थपन के मुद्दे में साथ देने आये थे तो विरोधियों द्वारा उन पर जान लेवा हमला हुआ था। याकूब ने बताया कि उनकी मुलाकात स्वामीजी से 2012 में दिल्ली में एक सभा में हुई थी। अनुभव को साझा करते हुए याकूब ने कहा कि वे एक महान करिश्माई, बहादूर सामाजिक अगुआ थे।
विचार गोष्टी में भाग लेने के लिए जेरोम लकड़ा ने सभी का स्वागत किया। आकाशदीप केरकेट्टा ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित आधिकारों की चर्चा की। इसके बाद जमीनी हकीकत की पड़ताल की गई। जीवन विकास मैत्री द्वारा संचालित लोक मंच कार्यक्रम के माध्यम से शासकीय योजनाओं को अधिक गति से लाभार्थियों तक पहुँचने के लिए कार्ययोजनाएं बनाई गईं, मनिहर लकड़ा की अगुआई में। वन अधिकार के तहत सामुदायिक वन संसाधनों पर अधिकार पाने की प्रक्रिया को हेमंत लकड़ा ने विस्तार से बताया तो कॉमहिडोल के चार ग्रामीणों ने ग्राम सभा करके प्रक्रिया करने ततपरता दिखाई। अन्य गांवों के लोगों ने भी जल्द प्रक्रिया पूरा करने की योजना बनाई। हेमंत लकड़ा ने सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया।
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